रक्षाबंधन क महत्व ..!!
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
रक्षा बंधन के पावन पर्व पर सम्पूर्ण मैथिल के प्रणाम आ शुभकामना !! श्रावण के पवित्र मास पूर्णिमा के पुण्य तिथि रक्षा -सुरक्षा के सुखद एहसास दैत राखी के त्योहार ! राखी के इतिहास नवीन नहीं अछि , एहन मान्यता अछि जे दैत्यराज बलि के मान मर्दन पश्चात जखन भगवान् प्रशन्न भेलैथ त बलि हुनका पाताल निवास के वचन लय लेलक। परेशान माँ लक्ष्मी राजा बलि के कलाई में रेशम के धागा बान्हि क भगवान् विष्णु के वापसी सुनिश्चित केलनि।
भविष्य पुराण के अनुसार ब्रिता सूर संग संग्राम में जखन इंद्र कमजोर परय लगला त देव गुरु वृहस्पति के आशीर्वाद सॅ इंद्र के भार्या इंद्राणी रेशम के ताग इंद्र के कलाई पर मंत्रोचार संग बान्हि देलनि। अहि शक्ति स इंद्र विजयी भेलैथ। इन्द्राणी जे मंत्र पढ़लखिन से अछि
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
महाभारत में द्रोपदी द्रारा श्री कृष्ण के घायल उंगली पर सारी क कोर सॅ बन्हने आउर चिर हरण में लाज रक्षा क निर्वहन
भाई- बहिन क त्योहार के अमूल्य बना दैत अछि। ऐतिहासिक मान्यता अनुसार मेवाड़ के महारानी कर्मावती मेवाड़ रक्षाक लेल राखी संग सन्देश हुमायु तक पहुंचा मेवाड़ सुरक्षा सुनिश्चित केलनि। संयोग बस ई सब घटना श्रावण मास क पूर्णिमा तिथि क सम्पन्न भेल।
रक्षा बंधन मात्र त्योहार नहीं, रक्षा -सुरक्षा क संकल्प दिवस अछि। कलाई पर सजल प्रत्येक ताग जिम्मेदारी के एहसास अछि। घर- घर स्थित महिला के अभिमान अछि ई राखी।
राखी के अहि पावन पर्व पर हम भगवान् सॅ प्रार्थना करैत छी जे पुरुष वर्ग के सामर्थ आ साहस देथि जहि सॅ नारी सम्मान के दीप सदैव प्रज्वलित रहय।
जय मिथिला जय मैथिली !!
–जयकांत झा
(टीम मिथिला महान )