सीता जी क जन्मक रोचक कथा ..!!
परम अकाल कतौ एकौ बुंद पानिक दरस नै !!!
महराज अपने हर चलवियौ समस्त गुनिजनक अतबे अनुनय अछि ,
जे जखने अपने वसुधाक छाती पर शंतानक दुखः प्रेषित करब तऽ ओ अविलंब कृपा वृष्टि वर्षौति ।
हँ .हँ.!!! हम उठाएब ‘हर ,’ करब भुमिक छेदन आर सुप्त वसुधाक छाति में ,
भरिदेब शंतानक प्रति अथाह ममताक विमल जल ,
जेकरा पिव समस्त जड़-चेतन तृप्त भऽ जायत ।
‘हर ‘ पकरितें मेघ गर्जन करय लागल ,
विजलोका चमकय लागल ,
ततबे में ठेकल हरक सीत में सोनाक संदुक ।
संदुक सँ अव्दितीय प्रकाश ,
जेकरा सं दिक् -दिगंत उदभाषित हुए लागल ,
आर साक्षात कन्यारुपी रत्न पाबि झहरय लागल विदेहराज जनकक अश्रुबुंद ।
समस्त मिथिला क धरती भिजय लागल ,
संग भिजल लागल ममताकमयी मिथिला अधि श्वरी रानी सुनयना मायक कोर आर आँचर ।
समस्त मिथिला ऐश्वर्य सँ परिपुर्ण भय गेलि ,
जेतय साक्षात जगजननी सदेह प्रकट भेलि ,ओतय आब धन्य-धान्यक कोन कथा ,|
याज्ञवल्यक एहि धरती पर स्वयं महामाया जगदम्बाक प्रकट छलिह ।
जय मैथिल जय मिथिला
सुख शान्ति सँ वंचित मैथिल लै ,
करि जन-जनहृदय में संचित स्नेह ।
हम भुमि नंदनी जानकी ।
-रूबी झा