के छलैथ जिमुतवाहन ?? किया छई जितिया पाबैन के महत्व ??
जिवितपुत्रिका व्रत
मलयकेतु नामक गंदर्भराज छलाह हुनका एकटा पुत्र छलथिन जिमुतवाहन । गंदर्भराज अपन पुत्र जिमुतवाहन के राज्यक भार सौंपि वर्णाश्रम गमन केलनि ।
जिमुतवाहन धार्मिक प्रवितृ के छलाह हुनका राज-काज चलबै में मन ओतेक नहिं लगैत छलैन , अतः अपन विस्वसनीय व्यक्ति के राज्यक भार दय माऽ-बापक सेवामें जंगल चल गेला।
किछु दिनक उपरांत ओ एकदिन ओ नर्मदा तट पर पैन भड़ैक लेल एलाह तऽ देखल जे एकटा बुढिया विलाप करैत -करैत मुर्क्षित भए गेल छथि ।
साहस कए जिमुतवाहन ओतय गेलाह आर कारण पुछल । ओ बुढ़ि अपन वास्तविक परिचय दऽ बजलि हम तक्षक नागक पत्नी छी हमरा एकहि टा पुत्र शंखचुर छथि ,जिनका आय एहि जंगल के राजा गृद्ध छथि ,हिनकर माँग अछि प्रतिदिन एकटा जीव भोजन लेल ,किंतु आय हमर घरक वारी अछि । नागीन कनैत कहल हम स्वयं जाय लेल तत्पर छि किंतु हमर पुत्र मातृभक्त-पित्र भक्त छथि तैं ई केकरहु गप्प नै मानि अपन प्राण संकट में द देल , हम कोना पुत्रक बिनु रहब ।
जिमुतवाहन बजला आहाँ जुनि कानु ,हम हिनका स्थान पर गृद्ध समक्ष जाएब ।
जिमुतवाहन स्वयं ओहि लाल कपड़ा में लपेटाय के गृद्धक लग गेला ।
जखैन गृद्ध हिनका देखल तऽ अचम्भित भए गेलाह आर पुछल ?
आय तऽ हमरा समक्ष तक्षक नागक पुत्र अबैवला छलाह ।
जिमुतवाहन सब सविस्तर कथा राजा गृद्ध लग राखल तऽ , ओ हिनका सँ बड़ प्रभावित भेला !!
आर स्वयं अपन प्रजा पर कएल गेल अत्याचार सँ लज्जित ।
गृद्ध वचन देल जे आय सँ हम ..केकरहु नहि भक्षण करब ,
आर अहाँक हमर वड़दान जे आहाँक पुजा जे करत ओकरा कहियो शंतान मृत्यु देखय पड़तै आर सबटा भरल-पुरल रहतै |
दोसर कथा – अछि गिद्ध आर सियारनी कथा जेकरा व्रति श्रद्धा पूर्वक सुनै छथि।
–श्रीमती रूबी झा