अहि कारण स चौरचन पाबैन मिथिला में मनायल जाइ छइ…
मिथिलाक पावनि चौरचन-
मिथिलाक क्षेत्र में बहुत दिन तक अराजकताक स्थिति रहल । जखैन दिल्लीक सलतनत पर बादशाह अकबर अधिकार भेलैंह तऽ ओ एहि क्षेत्र पर ध्यान देल आर महान धर्मिष्ठ पंडित महेश ठाकुर के 1556 में मिथिला राज्य देल गेल ।
किछु वर्षक बाद मिथिलाक सत्ता हेमागंद ठाकुर कें भेटलैन् । ओ उच्यकोटिक ज्ञाता रहलाक संग ज्योतिष शास्त्रक प्रकाण्ड विद्वान छलाह , ताहि कारण हिनका राज्य काज सँ बेसी पुजा-पाठ , शास्त्रीय पठन पाठन, निक लगैनि ।
एहि कारण राज्य में कर संचय निक जेकाँ नहि भऽ पौलक ,बादशाह कुपित भए हिनका पर झुठ कंलक लगा जे ई कर चोरी करवाले असत्य बजै छथि ,ताहि कारण हिनका काल कोठरी में दय देलक ।
राजा ओहि कालकोठरी में अपन जेयोतिष गणना देवाल पर करैत रहला । जखैन ओतय के पहरु ई देखलक तऽ बादशाह अकबर कें खबरी देलक |
बादशाह स्वयं आबि हिनका सँ प्रश्न केलक जे अपने कथिक गणना करै छी।
महराज बजला एतय हम चन्द्रग्रहण पर गणना कए रहल छी । अगिला पुर्णिमाक दिन ग्रहण लागत बादशाह अकबर कहलथिन यदि आहाँक गप्प सत्य होयत तऽ हम आहँ कें सम्मानपुर्वक अपन राज्य संग मुक्त कए देव ।
महराजक गणना सत्य भेल आर चौठे तिथि कें ओ वापस कलंक रहित वापस एलाह ।
महारानी राज्य भरि में ढ़ोलहो दिया घोषणा करौलनि जे मिथिला में आजुएक दिन चौठक चन्द्र के मिथिले क धरति पर श्राप भेटल छलैनि अहिल्याक अपमानक खातिर ,आय ओहि धरति कलंक मुक्त भेल ताहि कारण हिनकर एतय पुजा अर्चना होयत ।
ओहि दिन सँ आयधरि अपना सबहक ई सबसे उत्तम पावनि अछि।
भाद्रपद चौठ तिथि कें अपना सब पुरा श्रद्धा सँ – पुरी पकवान ,केरा ,खीरा, मधुर , दही सँ हिनकर आवाहन करैत छि ।
चौरचन दहि बड प्रसस्त अछि । एहि दिन मरड़ सेहो भाँगल जाए अछि ।
पुजा आँगन में ठावँ कके गणेश ,नभ,नवग्रह चन्द्रमा आदिक अरिपन दए ,पुजा कएल जाइत अछि| सब एहि मन्त्र पढ़ि कोनो फल हाथ में लके प्रणाम करैत छथि।
सिंह प्रसेन मवधीत्सिंहो जाम्बवताहत:!
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक:!!
कहल जाय अछिनई मन्त्र पढी भगवान कृष्ण कंलक मुक्त भेल छलाह
–रूबी झा
Bilakshan Bat. Ati Sundar