दूरदृष्टिक महत्व !!
एकटा खिस्साक माध्यम सं :- एकटा आदिवाशीक नगर छल, जतय हर पांच साल म एकबेर ओहि नगरक नागरिक म स किनको एक नागरिक क अगिला पांच सालक लेल राजा चुनल जाइत छल। मुदा ओतुका नियम छलै की राजाक पांच सालक कार्यकाल पूरा भेला पर ओहि राजा क एकटा खूंखार जानबर स भरल वन में फेक देल जाइत छल। अर्थात जे ब्यक्ती एकबेर राजा बनी अपन कार्यकाल पूरा केलाह हुनका खूंखार जानबरक समक्ष अपनाआप क समर्पित केने बिना कोनो अपबाद नै छलैन। एहन कठोर नियमक कारण कोनो ब्यक्ति सुहिर्दे मन सं राजा बनक लेल तैयार नै होयित छलाह, तैं नगर म राजाक चुनाव कीछु अलग ढंग सं होयत छल। ओतय पांच साल म एकबेर ओहि नगरक सब नागरिक एक ठाम उपस्थित होयत छलाह आ ओहि राज्यक हाथी जिनका गर्दैन म फूलक माला पहिरा दैत छलैन ओहि ब्यक्ति क राजा बनय पड़ैत छलैन। ई रीत सदियों स चलैत आबि रहल छल। आइ फेर कोनो राजा क कार्यकाल पूरा भ गेलैन नव राजाक चुनाव भ चुकल अइछ पुरान राजा क सिपाही पकैड़ लेलकैन हन हुनका बँधाइक -छेकैक प्रयत्न भ रहल अच्छी ताकि पुरनका राजा भाईग नै जैथ , मुदा हे भगबान ई की ! सब उपस्थित लोक बहुत आश्चर्य चकित छैथ ! ई राजा त हँसी-खुसी वन जैक लेल तैयार छैथ, हुनका माथ पर त कोनो शिकन नै छै ! हे भगबान हुनका मरक डर त कनियों नै छैन, ई त जेना शिकार खेलाइ जा रहल होइथ। लोकसब बाजैत छल जखन की एहि सं पहिलुका राजा क पकरै म सिपाही क त घाम छुइट गेल रहै। जखन वन नजदीक आयल त एकटा सिपाही अपनाआप क नै रोइक सकला आ ओ राजा स पूईछि लेलकैन महाराज अहाँ क मरैक कनेको डर नै होइत अइछ। राजा बजलाह मुर्ख सिपाही मरै ल के जाइत छैक रौ ? हम त आजीवन राज करैक लेल जा रहल छी। सिपाही आश्चयर्य स चकित भ पुछलखिन्ह सरकार ई कोना संभव छै ? राजा कहलखिन्ह सिपाही जखन हाथी हमरा गर्दैन म फूलक माला पैहरेलक तखने हम सोचलौं जे पांच साल बाद हम जानबर के समक्ष अपनाआप क समर्पित नै करब आ राजा बनलाक बाद हम प्लान बना क काज केलौंह , आई जै वन हम जा रहल छी ओ त आब वन छैहे नै हम त ओहि वनक सबटा जानबर मरबा क ओहि क अंदर खूब सूंदर महल बनबैलोँ , पूरा वन क साफ क ओतुका जमीन क उपजाऊ बनबैलोँ ओतय नगर बसलोँ ओतय मालगुजारी ब्यबस्था लागेलौं आ आय स हम ओतुका राजा छी। बन्धुगण !! ई खिस्सा हमरा अहाँक जीवन स बहुत तालमेल खा रहल अइछ । हम अहाँ यदि अपना समाज क गंभीरता स देखब त अनुभव होयत जे हमर अहाँक समाजक खूब लोक पुरनका राजा जँका अपन पाय कमाई वाला कार्यकाल पूरा केलाक बाद अपना बच्चाक समक्ष अपना -आप क समर्पित क दै छैथ । ई देखि बहुत ताज्जूब लागत जे ३५-४० साल कठोर मिहनत केलाक बादो ६०-६५ क उम्र होइत-होइत देशक ६५% स अधिक जनसंख्यां आइयो दोसर पर आश्रित छैथ। कारण जे हमरा-अहाँ म स आइयो बहुत लोक बिना कोनो प्लानिंग क समय काटैत छैथ, आ अंत म हतोत्साह भ क मजबूर भ जाइत छैथ । एकरा दूरदृष्टिक आभाव माईन सकैत छी। मित्र !! हमर समाजक अधिकतर लोक अपना बच्चा क बहुत अधिक महत्व दैत अपन कमाई क बेसी स बेसी पाय हुनका पाछू खर्च करैत छैथ आ अपन जीवनक अस्तीत्व बिसैर अपना लेल किछु नै बचा पबैत छैथ जे बूढ़ म असहाय साबित होयत छैथ। मित्र हमरा अहाँ क ई दायुत्व अइछ जे भारत के आत्मनिर्भर बनायब ....!! । धन्यवाद
Visits: 707